जब सेहन मे मेरी मय्यत हो, तो तुम आना जरूर
मेरी नामुराद उल्फत को बेशक भूल जाना जरूर
दर्दे अदावत से ,परेशान हो रही थी रूह ओ जान
सब गिले शिकवे खत्म हों दो आंसू बहाना जरूर
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खींचा जो चिलमन को दफ़्अतन ,दीदार हो गया
हाथ चले गए रुखों पर उनके ,मुझे प्यार हो गया
उनकी आँखों ने मुस्तकबिल की झलक दिखा दी
इक मुलाकात थोड़ी गुगतगु ,बस इकरार हो गया
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गिरहबान मे झाँक कर देख इक तस्वीर रखी थी
तेरे हाथों मे मेरे नाम की आश्की तहरीर रखी थी
मुन्तज़िर हूँ कब आगोश मे आपने तू लेगी मुझको
यही तो हमनवाई की हमने आला तदबीर रखी थी
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मेरी तम्मना है तुम मिलो फिर कोई तम्मना ना रहे
हर लम्हा उल्फ़त मे ही गुजरे कभी रूठना ना रहे
दीदा दानिश्ता यही सोच के तुमसे मुहब्बत की है
ज़िन्दगी गुजरे तेरे साथ ही ज़िन्दगी वरना ना रहे
Written By :: Ravinder Vij, Batala
Twitter :: @RAVINDER47