जाने लगे तेरे शहर से
तो तुझे अलविदा भी न कह सके
तेरी सादगी इतनी हसीन थी
कि तुझे बेवफा भी न कह सके
खुशी मिली लेकिन हस न सके
गम मिला लेकिन रो न सके
इक तझे ही दिल दिया
किसी को बता न सके
जिदगी का यही दसतूर है
जिसे चाहा उसे पा न सकेगे
और जिसको पाएगे उसे कभी चाह न सकेगे.
From :: Sapnas Sagar