हक़ से दे तो तेरी “नफरत” भी सर आँखों पर…,
खैरात में तो तेरी “मोहब्बत” भी मंजूर नहीं…!
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हर एक शख्स ने अपने अपने तरीके से इस्तेमाल किया हमें..
और हम समझते रहे लोग हमें पसंद करते हैं !!
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प्यार में मेरे सब्र का इम्तेहान
तो देखो..
वो मेरी ही बाँहों में सो गए किसी और के लिए रोते रोते …।
मिल जायेंगा हमें भी कोई टूटके चाहने वाला..
अब शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो
सकता..!!!