टूटकर शाख से पत्ते, मिट्टी मेँ मिल जाते हैँ
गुजरे दिन लौटकर, वापिस कभी नहीँ आते हैँ,
रिश्तोँ को दोँनो, हाथोँ से सम्भाले रखना,
आइना गर गिरा तो, टुकङे
बिखर जाते हैँ,
न कोई शहर अजनबी है न कोई शख्स ,
प्यार से मिलेँ तो, दुश्मन भी दोस्त हो जाते हैँ,
बुलबुले पानी के खिलौने नहीँ हो सकते,
हाथ से छूते ही ये तो टूट जाते हैँ,
उम्मीदोँ के चराग रौशन रहने दो हमेशा,
सुनहरे दिन के बाद रात के अँधेरे आते हैँ,
दुनिया बिल्कुल नहीँ है छोटी,
बिछुङे हुए लोग फिर कहाँ मिल पाते हैँ ।