कैसा ये जूनून है छाया,
धूप छाव ,
शहर गाँव ,
फिरू मैं यु नंगे पाँव,
कांटे फांस ,
ना भूख प्यास,
ना जाने कैसी जिद,
ना जानू कैसी आस ,
कैसा ये जूनून है छाया,
गुम सी लगे हर शुरुवात ,
बहकी बहकी सांसें ,
कहने को जैसे अधूरी बात
कैसा ये जूनून है छाया,
तू ही बता ऐ खुदा,
क्यों लगे हर लम्हा जुदा,
कैसा ये जूनून है छाया..
From:- Hritesh Jaiswal