Manjur Depalpuri Gazal – Dubne ki Nishani

डूबने की हर निशांनी काट कर,
चल रही है नाव पानी काट कर..

न हमारा नाम है न काम है,
वो सुनाता है कहानी काट कर..

कट गया वो दोस्तों से चल दिया,
बात मेरी दरमियांनी काट कर..

ज़ुल्म से पर्दा उठादूंगा तेरे,
बोल दूंगा बे ज़ुबानी काट कर..

याद आया है खुदा पर देर से,
आ रहा है वो जवानी काट कर..

रख रहा हूं मैं मेरा सादा मिजाज़,
आपकी जादू बयानी काट कर..

नफरतो का सर कुचल डाला गया,
फेक दी है बदगुमानी काट कर…!!

मंज़ूर देपालपुरी

Author: ShineMagic

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